 *ओशो* *गुरजिएफ* *सिस्टम* ।

 *ओशो* *गुरजिएफ* *सिस्टम* ।
यह ओशो गुरजिएफ का जो  मार्ग वह, नए ज़माने के मनुष्य का मार्ग है। पहेली बार ओशो ने सभी प्राचीन और अर्वाचीन बुद्ध पुरुषों को एक साथ में जोड़ दिया , और सभी का सार निचोड़ ध्यान है, वह साबित कर बताया., लेकिन नए मनुष्य के लिए , जो ये सदि में बुद्ध पुरुष हो गए , जैसे ओशो, गुर्जिएफ्फ़ और कृष्णामूर्ति, वे ज्यादा उपियोगी हो सकते है ।

आपको ज़रूर ध्यान होगा कि आज-कल नयी पीढ़ी को समझना बहुत ही कठिन है। लोगों को अपने बच्चों और पोतोँ के साथ रहने में बहुत सी समस्याएं आ रही हैं,  उनकी सोच, उनका पहनावा, उनका भोजन, उनका मिजाज, उनका व्यवहार, उनके मित्र, उनके सम्बन्ध, उनकी आदतें तक  सभी बदल गया  हैं। कोई एक व्यक्ति ही नहीं बल्कि पूरा समाज बदल गया है। धर्म बदल रहे हैं। सभी राष्ट्र बदलाव की चुनौती का सामना कर रहे हैं। पुराने नेताओँ , तानाशाहों और राजनीतिज्ञों को अब जाना होगा।

चित्रपट और नाटक अब बदल गए हैं. विवाह के तरीके अब बदलना शुरू हो गए हैं. लोग अब बिना शादी के भी साथ-साथ रहने लगे हैं।

लोग पहले की तुलना में कम ढोंगी और कम निर्दयी  हैं.  बल्कि  अधिक प्यारे और ईमानदार हो गए हैं। "इलेक्ट्रॉनिक मीडिया"  आकाश में नए सूरज की तरह उगा है . प्रौद्योगिकी और विज्ञान का विकास पिछले दस सालों में दस गुना तेजी से हुआ है।  और यह अगले पांच सालों में अपने चरम सीमा पर होगा, तब लोग और भी ऐशो आराम से रह सकेंगे , दूरियां और कम हो जाएँगी  ,

और इस समय जीवन मानसिक तनाव से  अधिक कठिन और प्रतिस्पर्धी हो जाएगा और लगभग सभी लोगों को अपनी मानसिक संतुलन बनाए रखना पड़ेगा। ओर उसके के लिए काम करना पड़ेगा।   नये  मनुष्य ने टेलीविजन और इन्टरनेट से ढेर सारा ज्ञान और जानकारियाँ इकट्ठी कर ली हैं। अब उसका दिमाग जानकारियों से एकदम भरा हुआ है  , और इस जानकारी की वजह से वह , यह समजता है की सब कुछ कर सकता है। उसका मानना है की वह सब कुछ जानता है। ये सब जानकारी को ज्ञान में बदलने के लिए ध्यान जरूरी है.

उसके दिमाग पर इतना बोझ है कि पुराने तरीकों से ध्यान में जाना उसके लिए बहुत कठिन है। एक नए मार्ग की जरूरत है। गुजिएफ्फ़ ने चौथा मार्ग बताया , ओशो , ने उसमें सभी पुराने नये सदगुरु जोड दिये , गुर्जिएफ्फ़ और कृष्णमुर्ती को भी  जोडके , ध्यान की एक नयी  समझ दी।

ओशो की सहायता से नया  मनुष्य ध्यान में जा सकता है। नया मनुष्य अस्तित्व के साथ एक लय में रह सकता है यदि वह ओशो का अनुसरण करता है। तो ओशो किसी भी तरह के समर्पण की  मांग नहीं करता  जैसा कि नए ज़माने का मनुष्य किसी के सामने समर्पित नहीं हो सकता।  ओशो पूरी तरह से तार्किक और तर्कसंगत है, और  नये ज़माने का मनुष्य भी पूरी तरह से तार्किक और तर्कसंगत है .  और नये ज़माने का मनुष्य किसी भी तरह का विश्वासी नहीं है,  इसलिए ओशो गुरजिएफ का मार्ग उसके लिए उपयुक्त है, जैसा कि ओशो गुरजिएफ के
मार्ग किसी भी चीज़ में विश्वास करने की मांग नहीं करता बल्कि होश के साथ अनुभव करने की मांग करता है।

नए  ज़माने का व्यक्ति  वैज्ञानिक है और ओशो गुरजिएफ का मार्ग उसके लिए एक वरदान साबित हो सकता है । ‌

..जीतू स्वामी.
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