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*💞परम प्यारे ओशो💞*
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*💫विनम्र आदमी का भी अहंकार होता। और कभी कभी अहंकारी आदमी से ज्यादा बड़ा होता है💫*
*💫तुमने देखा विनम्र आदमी का अहंकार ? वो कहता है "मै आपके पैर की धुल" मगर उसकी आँख में देखना वो क्या कह रहा है, अगर तुम कह के "आप बिलकुल ठीक कह रहे है हमको तो पहले से पता था के आप पैर की धुल है" तो वो झगड़ने को खड़ा हो जायेगा । वो ये कह नही रहा है के आप भी इसको मान लो वो ये कह रहा है के आप कहो के " आप जैसा विनम्र आदमी, दर्शन हो गए बड़ी कृपा " वो ये कह रहा है के आप खंडन करो के " आप और पैर की धुल ? आप तो स्वर्ण शिखर है, आप तो मंदिर के कलस है" जैसे जैसे तुम कहोगे उचा वो कहेगा के "नहीं मै बिलकुल पैर की धुल हु" लेकिन जब कोई कहे की "मै पैर की धुल हु" तो तुम अगर स्वीकार कर लो के "आप बिलकुल ठीक कह रहे है, सभी ऐसा मानते है के आप बुलकुल पैर की धुल है " तो वो आदमी फिर तुम्हारी तरफ कभी देखेगा भी नहीं । वो विनम्रता नहीं थी, वो नया अहंकार का रंग था, अहंकार ने नए वस्त्र ओढ़े थे, विनम्रता के वस्त्र ओढ़े थे।💫*
➡ *अष्टावक्र महागीता*
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