🏮🎈☯☮💞🌈🙇🏼आज तक मनुष्य की सारी संस्कृति यों ने सेक्स का,काम का, वासना का विरोध किया है। इस विरोध ने मनुष्य के भीतर प्रेम के जन्म की संभावना तोड़ दी, नष्ट कर दी। इस निषेध ने....क्योंकि सचाई यह है कि प्रेम की सारी यात्रा का प्राथमिक बिन्दु काम है, सेक्स है।
🏮🎈☮☯💞🌈🙇🏼 प्रेम की यात्रा का जन्म, गंगो त्री—जहां से गंगा पैदा होगी प्रेम की—वह सेक्स है, वह काम है।
🏮🎈☮☯💞🌈🙇🏼और उसके सब दुश्मन है। सारी संस्कृतियां,और सारे धर्म, और सारे गुरु और सारे महात्मा–तो गंगो त्री पर ही चोट कर दी। वहां रोक दिया। पाप है काम, जहर है काम, अधम है काम। और हमने सोचा भी नहीं कि काम की ऊर्जा ही, सेक्स एनर्जी ही, अंतत: प्रेम में परिवर्तित होती है और रूपांतरित होती है।
🏮🎈☮☯🌈💞🙇🏼प्रेम का जो विकास है, वह काम की शक्ति का ही ट्रांसफॉमेंशन है। वह उसी का रूपांतरण है।
🏮🎈☮☯🌈💞🙇🏼सेक्स की शक्ति ही, काम की शक्ति ही प्रेम बनती है।
🙏🏻🏮🎈☮☯🌈💞🙇🏼ओशो - संभोग से समाधि की ओर 🙇🏼💞🌈☮🎈🏮🙏🏻
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