🥀 Q. *सत्य की प्यास कैसे जन्मे?*
*सत्य की प्यास ही स्वयं मंजिल है; जो अपना रास्ता खुद निर्मित कर लेती है*।
अगर तुम आज से ही सच और ईमानदारी से चलना शुरू कर दो, तो यह *झूठा जमाना तुम्हे पूछना बन्द कर देगा*,
सब मित्र छूट जाएंगे
तुम अकेले पड़ जाओगे..... क्योंकि हर किसी के बस की बात नही सच के साथ चलना और ऐसे में तुम्हे दिखाई पड़ेगी हकीकत, *की सब मतलब के यार हैं*, इसी में तुम्हारी सत्य की यात्रा शुरू होगी, तुम्हारा ध्यान इस झूठी दुनिया से अपने आप हट कर सत्य की खोज में लग जायेगा और धीरे धीरे सत्य की प्यास बढ़ती जाएगी ।
और जमे रहे घबराए नही तो यही सत्य की प्यास ही रंग लाएगी, मंजिल कहीं दूर नही है, सत्य की प्यास स्वयं मंजिल है जो अपना रास्ता खुद निर्मित कर लेती है; *बस सत्य की प्यास की चिंगारी लगना ही काफ़ी है बाकी काम वो स्वयं कर लेती है*।
अाेशाे 👏🏻
No comments:
Post a Comment