मानसून

*मानसून​*
​ _मानसून अरबी शब्द ''मौसमी'' से बना है। जिसका अर्थ मौसमी हवाओ ऋतु से है। हमारे देश में ऋतु के अनुसार मानसूनी हवाओं की दिशा में परिवर्तन होता है। ऐसी मानसूनी हवाएं हमारे देश की जलवायु की निर्धारक हे, हमारे देश की जलवायु अक्षांशीय स्थिति समुद्र तल से उचाई समुद्र से दूरी पवन की स्थिति व दिशा पवनों की दिशा तथा धरातल की बनावट आधी तत्वों से प्रभावित है।​_
*मानसून की उत्पत्ति एवं विकास​​*
​ _मानसूनी हवाओं की उत्पत्ति के संबंध में प्रचलित परंपरागत विचारधारा सूर्य के कर्क रेखा व मकर रेखा पर लंबवत चमकने से संबंधित है इस विचारधारा के अनुसार उत्तरी गोलार्द्ध विशेषत: भारत में उस समय तेज गर्मी पड़ती है जब सूर्य की किरणें कर्क रेखा पर या उसके आसपास लंबवत पड़ती है इसके कारण एक न्यून वायुदाब का केंद्र पाकिस्तान में मुल्तान के आसपास बन जाता है इसी समय हिंद महासागर व ऑस्ट्रेलिया में तथा जापान के दक्षिण में प्रशांत महासागर में उच्च वायुदाब का केंद्र बन जाता है हवाओं का यह स्वभाव होता है कि व उच्च वायुदाब से निम्न वायुदाब की ओर चलती है समुद्र से चलने के कारण यह हवाएं वाष्प से भरी हुई होती है हिंद महासागर के दक्षिण से उठने वाली वे दक्षिण-पश्चिमी हवाई भारत की ओर आती है तथा यहां पर हिमालय के अवरोध के कारण वर्षा करती है इन्हें ही दक्षिणी पश्चिमी मानसून कहा जाता है इसे ग्रीष्मकालीन मानसून भी नाम दिया गया है!​_
​ _इस दिशा के विपरीत दक्षिण गोलार्द्ध सूर्य की किरणें मकर रेखा व उसके आसपास के क्षेत्र पर लंबवत पड़ने पर मध्य एशिया में बेकार जेल के पास मुल्तान के आसपास उच्च दाब का केंद्र बन जाता है जबकि समुद्री धरातल पर न्यून दाब कायम हो जाता है ऐसी स्थिति में हवाई स्थल समुद्र की ओर चलती है यह स्थल से आने के कारण प्रायः शुष्क होती है इन्हें की शीतकालीन जूस का हवाई कहां जाता है इनको शीतकालीन मानसून भी कहते हैं!​_
​ _डॉ. कटेश्वर की खोज तक मानसून की उत्पत्ति संदर्भ में उपयुक्त विचारधारा की ही मान्य व प्रचलित थी ,डॉ. कटेश्वर आम के अलावा रामास्वामी राममूर्ति तथा जंबू नाथ अनंत कृष्णन क्लोन आदि विशेषज्ञों ने मानसून की उत्पत्ति पर नवीनतम विचार प्रकट किए!​_
​ _नवीनतम विचारधाराओं के अनुसार मानसून की उत्पत्ति क्षोभमंडल  में विकसित सामयिक आंधियों से मानी जाती है वायुमंडल की वाष्प वाली हवाई शॉप मंडल में उत्पन्न होने वाली आंधियों के कारण एक दिशा में प्रभावित होते हुए ऊपरी क्षोभमंडल में पहुंच जाती है हवाओं का ऐसा प्रभाव जो निम्न शोभ मंडल में पहुंचता है उसी जेट स्ट्रीम से धरातल तक वर्षा होती है इस जेट स्ट्रीम को क्षेत्र अनुसार उष्णकटिबंधीय पूर्वी जेट तथा अर्ध उष्णकटिबंधीय पश्चिमी जेट नाम दिया गया है!​

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