खाद्य जनित बीमारियों से भारत को सालाना 28 अरब डॉलर का नुकसान: विश्व बैंक अध्ययन

विश्व बैंक समूह और नीदरलैंड सरकार की 'फूड फॉर ऑल' साझेदारी के एक अध्ययन से पता चला है कि खाद्य जनित बीमारियों से भारत को हर साल 28 अरब डॉलर (1,78,100 करोड़ रुपये) या देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के करीब 0.5% का नुकसान हुआ है।

रिपोर्ट के अनुसार, आर्थिक बोझ को कम करने के लिए, भारत को देश के लोगों के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु निवेश की जरूरत है। भारतीय अब साधारण स्टेपल फ़ूड से अधिक पौष्टिक भोजन की ओर आगे बढ़ रहे हैं। इस अध्ययन के अनुसार, हालांकि यह प्रभाव सकारात्मक होना चाहिए, लेकिन वर्तमान में यह परिवर्तन "जोखिम भरे खाद्य पदार्थ" की ओर ले जा रहा है।

डेला ग्रेस, प्रोग्राम मैनेजर ने कहा कि, "अगर खाद्य सुरक्षा में कोई निवेश नहीं किया जाता है, तो गरीबी और कुपोषण में वृद्धि के कारण इसे कम करने की संभावित लागत में बढ़ोत्तरी हो सकती है।"

यह अध्ययन वागेनिंगन इकोनॉमिक रिसर्च की शोधकर्ता ग्रेस, ज़ुजाना स्मेट्स क्रिस्टकोवा और मारिके कुईपर, वरिष्ठ शोधकर्ता, वागेनिंगन इकोनॉमिक रिसर्च, वागेनिंगन युनिवर्सिटी, नीदरलैंड्स के द्वारा किया गया।

भारत सरकार द्वारा उठाये जा रहे कदम:

केंद्र सरकार खाद्य पदार्थों की मैन्युफैक्चरिंग, बिक्री या सर्विस से जुड़ी फर्मों की खाद्य सुरक्षा के कई मानकों पर मार्किंग के बाद उनकी ग्रेडिंग तैयार करेगी। सभी मानकों पर खरी और रेगुलेशंस का लगातार पालन करने वालों को टॉप ग्रेड जारी किए जाएंगे, जिन्हें वे अपनी पहचान या प्रमोशन के तौर पर भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

टॉप ग्रेडेड फर्मों को न सिर्फ फूड सेफ्टी रेगुलेशंस से जुड़ी सुविधाओं और प्रक्रियाओं में वरीयता दी जाएगी, बल्कि वे दूसरे क्षेत्रों और विभागों में भी इसका फायदा उठा सकती हैं। प्रॉडक्ट की स्वास्थ्य संबंधी संवेदनशीलता के हिसाब से भी मानकों और ग्रेड में बदलाव पर विचार किया जा रहा है।

फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) की ओर से राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों और फूड सेफ्टी कमिश्नरों के राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान अथॉरिटी यह जानकारी दी गयी।

सरकार राज्यों और स्टेकहोल्डर्स के सुझाव के आधार पर एक ग्रेडिंग सिस्टम पर विचार कर रही है, जो दो स्तरों पर होगा। एक तो टर्नओवर और स्वास्थ्य संवेदनशीलता के आधार पर फूड बिजनस ऑपरेटर्स (एफबीओ) को कई और वर्गों में बांटने की मांग आई है, दूसरा फूड सेफ्टी के सभी मानकों पर लगातार अच्छा प्रदर्शन करने वालों को प्रोत्साहन और पहचान दिलाने की जरूरत महसूस की जा रही है।

दूसरे तरह की ग्रेडिंग के लिए जनरल मैन्युफैक्चरर्स, प्रोसेसर्स, रिटेलर्स की पांच पैमानों -डिजाइन एंड फैसिलिटीज, ऑपरेशनल कंट्रोल, सैनिटेशन, पर्सनल हाइजीन और ट्रेनिंग पर मार्किंग की जाएगी। इसके तहत कंप्लायंट, नॉन-कंप्लायंट और पार्शियल कंप्लायंट टैग के साथ ही मार्क्स और ग्रेड दिए जाएंगे। लगातार बेहतर कंप्लायंस करने वालों को एक ग्रेडिंग सिंबल अलॉट किया जा सकता है।

इस सम्मेलन के दौरान फूड सेफ्टी से जुड़ा सात सूत्री चार्टर जारी करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने बताया कि भारत सरकार ने फूड सेफ्टी के अनुपालन और प्रशासनिक ढांचा खड़ा करने के लिए राज्यों को मदद के तौर पर 480 करोड़ रुपये के आवंटन को मंजूरी दी है। उन्होंने सभी राज्यों में फूड सेफ्टी कमिश्नर की नियुक्ति, अपीली ट्राइब्यूनल के गठन और इंस्पेक्टर राज घटाने पर भी जोर दिया।

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