*4. पर्वतों की स्थिति-*

*4. पर्वतों की स्थिति-*
_जलवायु को प्रभावित करने वाले कारकों में पर्वतों की स्थिति एक महत्वपूर्ण कारण है। पश्चिमी घाट की स्थिति प्रायद्वीपीय भारत के पश्चिमी तट के निकट है। इस कारण दक्षिणी पश्चिमी मानसून से इनके पश्चिमी डालो पर प्रचार वर्षा होती है। जबकि इसके विपरीत ढाल एवं प्रायद्वीपीय पठार दक्षिणी पश्चिमी मानसून की वृष्टि छाया क्षेत्र में अंतर है_
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*5. पर्वतों की दिशा-*
_हिमालय पर्वत की स्थिति व दिशा के कारण ही भारत की जलवायु सौम्य है। एक और हिमालय साइबेरियाई ठंडी पवन उसे हमारे देश की रक्षा करते हैं तो दूसरी ओर ग्रीष्मकालीन मानसून को रोककर भारत में ही वर्षा करने के लिए ही बदय करते हैं। पश्चिमी राजस्थान की शुष्क जलवायु का एक कारण यह भी है। कि अरावली श्रेणी की दिशा दक्षिणी पश्चिमी मानसून के समांतर है। अतः यह पवनों के मार्ग में उपस्थित नहीं करती।_
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*6.पवनों की दिशा-*
_पवन ने अपने उत्पत्ति वाले स्थान एवं मार्ग के गुण साथ लाती है। ग्रीष्मकालीन मानसून हिंद महासागर से चलने के कारण उषण आद्रव होते हैं। अतः वर्षा करते हैं। शरद कालीन मानसून खली वर्सेस क्षेत्रों से चलते हैं। अतः सामान्य: शीत व शुष्कता  लाते हैं।_
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*7. उच्चस्तरीय वायु संचरण-*
_उच्चस्तरीय वायु संचरण का मानसून से गहरा संबंध है। भारत की जलवायु मानसूनी होने से काफी हद तक सौरमंडल की गतिविधियों से प्रभावित होती है। मानसून की कालिख एवं मात्रात्मक अनिश्चितता भी उच्च स्तरीय वायु संचरण की दशाओं पर निर्भर करती।_
_इसके अतिरिक्त मेघाचादन की मात्रा वनस्पति आवरण समुद्री धारा आदि। भी भारत के जलवायु को आंशिक रूप से प्रभावित करते हैं। भारत सरकार के मौसम विभाग के अनुसार भारत की जलवायु परिस्थितियों को चार बिना ऋतु में बाटा है।_
*(क) उत्तरी पूर्वी या शीतकालीन मानसून काल-*
_1. शीत ऋतु- दिसंबर से फरवरी तक।_
_2. ग्रीष्म ऋतु-  मार्च से मध्य जून तक।_
*(ख) दक्षिण पश्चिम या ग्रीष्मकालीन मानसूनी काल-*
_1. वर्षा ऋतु- मध्य जून से मध्य सितंबर तक।_
_2. शरद ऋतु- मध्य सितंबर से मध्य दिसंबर तक।_
*भारतीय संस्कृति के अनुसार छ: ऋतुएं मानी गई है-*
1. बसंत ऋतु  -   चैत्र-वैशाख
2. ग्रीष्म ऋतु  -   ज्येष्ठ-आषाढ़
3.   वर्षा ऋतु  -  श्रावण-भाद्रपद
4.  शरद ऋतु  -  अश्विन-कार्तिक
5.  शीत ऋतु  - मार्गशीष-पोष
6. हेमंत ऋतु  -   माघ-फाल्गुन
_बिना ऋतु के उपयुक्त काल में देश की विशालता के कारण स्थानिक विभिन्नता ए पाई जाती है। प्रत्येक ऋतु में तापमान वायुदाब पवनें वर्षा की मात्रा मैं भिन्नता मिलती है_।
*सामान्य ज्ञान ग्रुप*

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