GENERAL KNOWLEDGE

1) केन्द्र सरकार ने 5 सितम्बर 2015 को पूर्व
सैनिकों की वर्षों पुरानी “वन रैंक, वन
पेंशन” (OROP) मांग को स्वीकार करने की
घोषणा कर दी। इस सम्बन्ध में रक्षा मंत्री
मनोहर पार्रिकर द्वारा की गई घोषणा के
अनुसार इस मांग को स्वीकार करने के एवज में इस
साल सरकार 18,000 से 22,000 करोड़ रुपए के
अतिरिक्त बोझ को वहन करेगी। हालांकि
पिछले लगभग तीन माह से अपनी मांगों के एवज
में प्रदर्शन कर रहे पूर्व-सैनिकों ने सरकार द्वारा
मानी गई कुछ शर्तों को स्वीकार करने से इंकार
कर दिया। अस्वीकृत की गई शर्तों में से प्रमुख
क्या है? – स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) लेने
वाले सैनिकों को “वन रैंक, वन पेंशन” का लाभ न
देना
विस्तार: उल्लेखनीय है कि “वन रैंक, वन
पेंशन” (OROP) के तहत देश की सशस्त्र सेनाओं में
अपनी सेवा देकर एक ही पद से सेवानिवृत्त हुए
समान समयावधि की सेवा देने वाले लोगों के
मध्य पेंशन विसंगति को समाप्त किया जा रहा
है। यह विसंगति अलग-अलग कालखण्ड में
सेवानिवृत्त होने वाले एक ही पद से सेवानिवृत्त
हुए पूर्व सैनिकों की पेंशन में फिलहाल विद्यमान
है। लेकिन समय-पूर्व स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति
(VRS) लेने वाले सैनिकों को OROP की परिधि
से बाहर रखने के केन्द्र सरकार के प्रस्ताव को
सैनिक संगठनों ने खारिज कर दिया और यह
ऐलान भी कर दिया कि वे अपना आंदोलन
अनवरत जारी रखेंगे। हालांकि प्रधानमंत्री
नरेन्द्र मोदी ने 6 सितम्बर 2015 को यह
घोषणा कर दी कि जल्द सेवानिवृत्ति लेने वाले
सैनिकों को भी “वन रैंक, वन पेंशन” की परिधि
में लाया जायेगा। इसके बाद पिछले 88 दिनों से
चल रही भूख हड़ताल को पूर्व सैनिकों ने समाप्त
कर दिया लेकिन स्पष्ट किया कि OROP के
पक्ष में उनका आंदोलन तब तक चलेगा जब तक
सरकार उनकी पूरी मांगों को नहीं मान लेती
है।
– OROP के सम्बन्ध में सरकार के अहम प्रस्ताव
– OROP को 1 जुलाई 2014 से प्रभाव में लाया
जायेगा
– एरियर का भुगतान चार वार्षिक किश्तों में
किया जायेगा
– युद्ध में मारे गए सैनिकों की विधवाओं (war
widows) को बकाया भुगतान एक किश्त में
किया जायेगा
– इसके चलते सरकार के वार्षिक पेंशन बिल में
8,000 से 10,000 करोड़ रुपए की वृद्धि
– यह राशि सैन्य वेतन में होने वाली वृद्धि के
साथ बढ़ती जायेगी
– बकाया पेंशन (एरियर्स) के भुगतान में 10,000
से 12,000 करोड़ रुपए का खर्च होगा
– पेंशन की समीक्षा प्रत्येक 5 वर्ष के अंतराल में
की जायेगी
2) यूरोप में चल रहे प्रवासी संकट में एक
महत्वपूर्ण घटनाक्रम के तहत 5 सितम्बर 2015
को दो देशों ने कई दिनों से परेशान प्रवासियों
के लिए अपनी सीमा खोलने की घोषणा कर
दी। यह दो देश कौन से हैं? – जर्मनी और
ऑस्ट्रिया
विस्तार: 5 सितम्बर को जर्मनी (Germany)
और ऑस्ट्रिया (Austria) ने अपनी सीमाओं को
इन प्रवासियों के लिए खोलने की घोषणा तब
कर दी जब कई दिन लम्बी उधेड़बुन और विवाद के
बाद अंतत: हंगरी (Hungary) ने अपनी सीमा के
रास्ते यूरोप में प्रवेश करने का इंतज़ार कर रहे
प्रवासियों के लिए 100 बसें मुहैया करा कर उन्हें
ऑस्ट्रिया जाने की अनुमति प्रदान कर दी।
वहीं ऑस्ट्रिया के रास्ते लगभग 1,000 प्रवासी
विशेष रेलगाड़ियों से जर्मनी के म्यूनिख
(Munich) शहर पहुँच गए। उल्लेखनीय है कि हंगरी,
जोकि यूरोप में प्रवासियों के घुसने का एक
अहम देश है, ने प्रवासियों के मुद्दे पर पहले कड़ा
रुख अपनाते हुए कहा था कि वो अपनी
दक्षिणी अपनी सीमापर 15 सितम्बर तक
ऊँची बाड़ (fence) लगा देगा। यहाँ यह भी
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2015 का यह प्रवासी
संकट 1990 के यूगोस्लाव युद्ध (Yugoslav War)
के बाद यूरोपीय महाद्वीप का सबसे गंभीर
प्रवासी संकट है। इसका मुख्य कारण युद्ध और
आर्थिक तबाही की चपेट में आए मध्य पूर्व
(Middle-East) तथा अफ्रीका (Africa) के देशों
के प्रवासियों द्वारा यूरोप का रुख कर वहाँ
अपने लिए शरण की मांग किया जाना है। इन
प्रवासियों में सर्वाधिक संख्या सीरिया
(Syria) के नागरिकों की है, जिसके बाद क्रमश:
इरिट्रिया (Eritrea) और अफगानिस्तान
(Afghanistan) के नागरिक सर्वाधिक हैं।
यूरोपीय देशों ने पहले तो प्रवासियों की
अस्वीकार कर दिया था लेकिन कुछ समय से अब
उनके प्रति नरमी दिखाना शुरू कर दिया है।
3) वित्तीय उत्पादों (financial products) के
वितरण लाभों को विवेकीकृत करने तथा ऐसे
उत्पादों को बेचने के लिए अपनाई गए गलत
तरीकों (mis-selling) पर रोक लगाने के उद्देश्य
से केन्द्र सरकार द्वारा गठित समिति ने अपनी
रिपोर्ट में वित्तीय उत्पादों से एक्ज़िट (exit)
करने के लिए एक लचीला तरीका तैयार करने की
सिफारिश की है। इसके अलावा इन उत्पादों से
एक्ज़िट करने के समय निवेशक से वसूले जाने वाले
चार्जेज़ से होने वाला लाभ वित्तीय उत्पादों
को बेचने वाली कम्पनियों के खाते में न डालने
की सिफारिश भी की है। इस समिति का
अध्यक्ष कौन है? – सुमित बोस, पूर्व वित्त
सचिव
विस्तार: सुमित बोस (Sumit Bose) की
अध्यक्षता वाली इस समिति ने अपनी रिपोर्ट
में सिफारिश की है कि पेंशन सम्बन्धी उत्पादों
को छोड़कर अन्य सभी वित्तीय उत्पादों से
बाहर निकलने का निर्णय निवेशकों के जिम्मे
ही रहना चाहिए। इसके अलावा इन उत्पादों से
निवेशक के बाहर निकलने के तरीके को
अधिकाधिक लचीला बनाया जाय और इस पर
लगाए जाने वाले चार्जेज़ को कम से कम रखा
जाय। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में यूनिट लिंक्ड
बीमा योजनाओं (ULIPs) में कम से कम पाँच
साल के लॉक इन पीरियड (lock-in period) का
प्रावधान है। ये पहले तीन साल का था लेकिन
लेकिन सितम्बर 2010 में इसे तब बढ़ा दिया गया
था जब खराब प्रदर्शन के चलते भारी संख्या में
निवेशकों ने इन उत्पादों से अपने आपको बाहर
कर लिया था।
4) हाल ही में जारी की गई वर्ष 2014-15 की
RBI की वार्षिक रिपोर्ट (Annual Report
2014-15) में यह तथ्य प्रस्तुत किया गया है
वित्तीय संकटों के लिए प्रयुक्त किए जाने वाले
RBI के आपातकालीन कोष (Contingency
Fund) की वर्तमान मात्रा गिर कर उसकी कुल
परिसम्पत्तियों की मात्र 8.4% रह गई है। इसके
अलावा RBI ने पिछले दो सालों में इस कोष में
और धन हस्तांतरित भी नहीं किया है। इस कोष
का तय न्यूनतम मानक क्या है? –
परिसम्पत्तियों का 12%
विस्तार: उल्लेखनीय है कि परिसम्पत्ति
विकास कोष (Asset Development Fund)
नामक इस आपातकालीन कोष में वर्ष 2012-13
में कुल मात्रा जहाँ 2,424 अरब रुपए थी वहीं
वर्ष 2014-15 में इसका कुल आकार 2,434 अरब
रुपए था। इससे स्पष्ट हो जाता है कि इस कोष
में पिछले दो सालों में नया हस्तांतरित किया
गया धन न के बराबर ही है। इस रिपोर्ट में यह
तथ्य भी सामने आया है कि वर्तमान में RBI अपने
मुनाफे में से अपने लिए लगभग कुछ भी न रखकर
केन्द्र सरकार को इस राशि में से 99.9% राशि
हस्तांतरित कर देता है। वर्ष 2010-13 में
केन्द्रीय बैंक अपने लाभ का मात्र 40 से 50%
तक हिस्सा केन्द्र सरकार को हस्तांतरित
करता था। वहीं वर्ष 2014-15 में सरकार को
RBI से प्राप्त लाभांश 659 अरब रुपए है जोकि
वर्ष 2010-11 की 150 अरब रुपए की राशि से
कहीं अधिक है।
5) भारत में कार्यरत किस प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय
गैर-सरकारी संस्था (NGO) का विदेशी चंदा
प्राप्त करने का लाइसेंस गृह मंत्रालय ने सितम्बर
2015 के दौरान रद्द करने का आदेश जारी कर
दिया? – ग्रीनपीस इण्डिया
विस्तार: केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने 2 सितम्बर
2015 को ग्रीनपीस इण्डिया (Greenpeace
India) को प्रदत्त विदेशों से आर्थिक सहयोग
प्राप्त करने का लाइसेंस Foreign Contribution
Regulation Act (FCRA) के प्रावधानों के तहत
रद्द (cancel) कर दिया जिसके चलते अब यह
संगठन अपनी गतिविधियों को संचालित करने
के लिए विदेशों से किसी भी प्रकार का चंदा
अथवा आर्थिक सहायता प्राप्त नहीं कर
पायेगा। उल्लेखनीय है कि ग्रीनपीस इण्डिया
का उक्त लाइसेंस सरकार ने 10 अप्रैल 2015 को
तब निलंबित (suspend) कर दिया था जब इस
संगठन को भारत सरकार की तमाम नीतियों के
खिलाफ प्रचार करने, तमाम मंचों पर विरोध
करने तथा लॉबिइंग (lobbying) करने का दोषी
पाया गया था। उस समय गृह मंत्रालय ने
ग्रीनपीस इण्डिया को अपना पक्ष रखने के
लिए 180 दिन की समयसीमा दी थी।
6) सितम्बर 2015 के दौरान अमेरिकी
राष्ट्रपति बराक ओबामा ने एक राष्ट्रपति के
तौर पर क्या मुकाम हासिल किया? – वे
आर्कटिक वृत्त पार कर अलास्का (Alaska)
प्रांत पहुँचने वाले देश के पहले राष्ट्रपति बने
विस्तार: अलास्का के कोट्ज़ेब्यु (Kotzebue)
गाँव पहुँचकर अमेरिकी राष्ट्रपति बराक
ओबामा देश के पहले सत्ता पर काबिज
राष्ट्रपति हो गए हैं जिन्होंने आर्कटिक वृत्त
(Arctic Circle) को पार कर अलास्का प्रांत में
प्रवेश किया है। अलास्का की अपनी तीन
दिवसीय यात्रा के दौरान ओबामा ने तमाम
विपरीत परिस्थितियों में रह रहे यहाँ के लोगों
के जीवन तथा जलवायु परिवर्तन के उनपर पड़ रहे
प्रभाव को मुख्य मुद्दा बनाया। उल्लेखनीय है
कि मुख्य देश से अलग-थलग स्थित अलास्का
प्रांत की समस्याएं बहुत कम ही चर्चा में आ
पाती हैं, बावजूद इसके कि यहाँ रह रहे लगभग एक
लाख लोगों का जीवन तेजी से पिघल रही बर्फ
के कारण लगातार चुनौतियों भरा होता जा
रहा है।
7) हिंदी फिल्मों के मशहूर संगीत निर्देशक
आदेश श्रीवास्तव (Aadesh Shrivastava) का 5
सितम्बर 2015 को तड़के निधन हो गया। वे
पिछले पाँच साल से कैंसर के कई दौर से गुजरने के
बाद पिछले कई दिन से काफी गंभीर स्थिति में
थे। 100 से अधिक हिंदी फिल्मों में संगीत दे चुके
आदेश के संगीत से सजीं कुछ प्रमुख फिल्में थीं
“चलते-चलते”, “बागबान”, “बाबुल”, “कभी खुशी,
कभी गम” और “राजनीति”। हाल ही में रिलीज़
हुई वह फिल्म कौन सी है जो उनके संगीत से
सजीं कुछ अंतिम फिल्मों में से एक है? – “वेलकम
बैक”
विस्तार: 4 सितम्बर 2015 को ही रिलीज़ हुई
हिंदी फिल्म “वैलकम बैक” (“Welcome Back”) में
उन्होंने संगीत निर्देशन किया है तथा यह उनकी
काम से सजीं कुछ आखिरी फिल्मों में से है।
उल्लेखनीय है कि आदेश श्रीवास्तव को वर्ष
2010 में पहली बार प्लाज़्मा सेल का कैंसर
(multiple myeloma) होने का पता चला था
तथा इलाज के बाद सही होने के बाद वे तीसरी
बार कैंसर की चपेट में आये थे। उनका निधन मुम्बई
के कोकिलाबेन अस्पताल में हुआ। उनकी पत्नी
गुजरे जमाने की अभिनेत्री विजेता पण्डित
(Vijayta Pandit) हैं जो संगीतकार द्वय जतिन-
ललित की बहन हैं।
8) 4 सितम्बर 2015 को दिवंगत हुए विलफ्रेड
डिसूज़ा (Wilfred De Souza) किस राज्य के
तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके थे? – गोवा (Goa)
विस्तार: विलफ्रेड डिसूज़ा तीन कार्यकाल के
लिए गोवा के मुख्यमंत्री रहे थे। वे पहली बार
18 मई 1993 को राज्य के मुख्यमंत्री बने थे
जबकि अंतिम बार वे वर्ष 1999 में राज्य के
मुख्यमंत्री रहे थे। इनमें से दो बार उन्होंने कांग्रेस
की तरफ से राज्य की बागडोर संभाली जबकि
अंतिम बार वे नई बनाई गई पार्टी गोवा
राजीव कांग्रेस (Goa Rajiv Congress) की
तरफ से मुख्यमंत्री पद पर काबिज हुए थे। वे 88
वर्ष के थे तथा हृदयघात के चलते उनका निधन
हुआ।
BY :- VISHAL JOGRANA  (7819074319)

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