जिसमें प्रेम का नशा न हो, परम प्रेम का, प्रभु प्रेम का।

जिसमें प्रेम का नशा न हो, परम प्रेम का, प्रभु प्रेम का।
जिसमें प्रेम का नशा न हो, जिसमें प्रेम की मीठी पीड़ा न हो,

उसे जिंदगी मत कहना, वह तो मौत है
धीमी—धीमी है इसलिए पता नहीं चलता।
हमें धीमे—धीमे घटने वाली चीजों का पता नहीं चलता,
इसे याद रखना। तुम रोज मर रहे हो, प्रतिपल मर रहे हो।
एक दिन बीता तो चौबीस घंटे और मर गए।

लेकिन हम उल्टे लोग हैं। हम जन्मदिन मनाते हैं।
हम कहते हैं कि यह हमारा तीसवां जन्मदिन है।
यह तीसवां जन्मदिन नहीं है, यह मौत का तीसवां पड़ाव है।
यह जन्मदिन नहीं है, यह मृत्यु—दिवस है।
मौत और करीब आ गयी, और सरक आयी, और नजदीक आ गयी।
तुम क्यू में खड़े हो। आगे क्यू छोटा होता जा रहा है।
लोग हटते जा रहे हैं, तुम्हारा नंबर करीब आता जा रहा है।
किस क्षण तुम्हारा नाम पुकार लिया जाएगा कहना मुश्किल है।

जिंदा होने का एक ही ढंग है,
वह है राम को जीना। वह है राम को अपने में जीने देना।

जिंदा होने का एक ही ढंग है
कि तुम्हारे शून्य में परमात्मा का पूर्ण उतरे,
कि तुम्हारी अंधेरी रात में उसका सूरज उतरे,
कि तुम्हारे अंतस में, अंतस के सिंहासन पर राम विराजमान हो,
तो जियोगे। राम के बिना जिंदगी नहीं है।
#ओशो #फरीद

No comments:

Post a Comment