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एक बुद्ध, एक कृष्ण, या एक
मिस्टिक का नाम लो, जिसपर
मेरी किताब न हो।

कोई महान पुस्तक बताओ
जिसपर मेरे संवाद न हों।

एक सूफी, एक संत, एक
दार्शनिक, एक वैज्ञानिक
बताओ जिसपर मैंने न कहा हो।

कोई राधा, कोई मीरा, कोई सीता,
कोई राबिया, कोई लल्ला, कोई
मल्ली बता दो।

एक मनु, एक मार्क्स,
एक लेनिन, एक फ्रायड, एक
जुंग, एक एडलर बता दो।

मैं लगातार अस्तित्वगत चेतना
और स्त्री-पुरुष के समग्र नाते
पर बोला।

ध्यान, प्रेम, भक्ति और योग
पर मैंने निरंतर कहा है।

एक सच्चा कलाकार, एक कवि,
एक लेखक नही, जिस पर नही
बोला।

लेकिन मूर्खों को सुनाई दिया
सिर्फ़ " संभोग " !

*- ओशो*


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