ओशो पुर्व,ओशो पश्चात

कल एक मोटीवेशनल प्रोग्राम था वक्ता के बोलने व उदाहरणों में ओशो का प्रभाव साफ परिलक्षित हो रहा था.बीते वर्षों में जितने भी मोटीवेशनल प्रोग्राम होने शुरू हुये है उनका मोटीवेशन भी ओशो ही है जितनी मोटीवेशनल बुक्स प्रकाशित हो रही है सबका मेटेरियल का स्रोत भी ओशो की किताबें ही हैं.बिना ओशो का नाम लिये या उनको धन्यवाद दिये.जब उनकी निंदा या गालीयों का दौर था तब मुक्तहस्त से उनको गालियों निंदाओ से नाम लेकर नवाजा जाता था उसका असर भी आजतक है. जितने धर्मगुरू पिछले दशको में प्रसिद्द हुये, नाम कमाया उसके पीछे भी कारण ओशो ,ओशो के विचार उनका साहित्य ही है.जितनी फिल्में बन रही है अवार्ड प्राप्त कर रही है उनकी शैली बदली है उसमें भी ओशो साहित्य का प्रभाव है जितनी भी धर्मों मजहबों की टूटती कट्टरता, उदारता पैदा हो रही है उसका भी मूल कारण महामानव ओशो ही है और जितनी धार्मिक कट्टरता भी बढ रही है (ओशो कहते है एक बार सभी धर्मों में कट्टरता बढेगी सभी मुठ्ठी कसकर बंद करने की कोशिश करेंगे सभी अपनी पकड बनाने की कोशिश करेंगे मगर जितनी कसकर मुठ्ठी बंद करेंगे उतनी ही खुल जायेंगी)  उसकी जड में भी ओशो का साहित्य ही है क्युकिं ओशो ने सभी संतो अवतारो,पैगंबरो,तीर्थंकरों के उस ओरिजिनल रूप व उनकी शिक्षाओं की गहराईया व प्रभाव ऐसे उजागर किये कि ुनके मानने वाले भौच्चकें रह गये उनक दंातों तले अंगुली आ गयी सबने अपने अपने महापुरूष को इस तरह नये रूप में जाना की वो जो लोग केवल परंपरा से ही मान रहै थे वे गहरे रूप से मानने लगे .जितनी राजनैतिक उठापटक हो रही है दुनिया में और दुनिया में वैश्विक सरकार की मांग जोर पकड रहीहै (one eirth one humanity) उसके पीछे भी ओशो का आभामंडल ही है विश्व समस्याओं से मानव को निजात दिलाने के उनके विजन को ही है.कविवर हरिवंशराय बच्चन नें सत्तर के दशक में जब पहली भेंट ओशो से दिल्ली में की तो उनके उद्गार थे "रजनीश जी (ओशो) का प्रभाव विश्व मनीषा पर पडेगा,विश्व साहित्य उनसे प्रभावित हुये बिना नहीं रह सकेगा दुनिया ुनसे आंदोलित होगी उनके प्रभाव से बचा नहीं जा सकेगा "
       और आज वहीं देखने को मिल रहा है यह तो अभी सदी की शुरूआत है.आगे आगे देखिये होता है क्या. "अकेला ही चला था जानिबें मंजिल लोग जुडते गये कारवां बनता गया. "

    बकौल ओशो अपने बारे में ,"मेरे बाद दुनिया वैसी नहीं रह सकेंगी जैसी मेरे पहले थी जैसे जीसस ने समुंद्र को दो भागो में बांट दिया था वैसे ही मेरे बाद दुनिया दो भागों में बंट जायेगी ओशो पुर्व,ओशो पश्चात "

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