🌴कामला , पीलीया , पाण्डु ( Jaundice )🌴
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#कामला_की_आयुर्वेदिक_पेटेंन्ट_घरेलु__मेरी_अनुभूत_चिकित्सा_सहित_लेख
🌳रोग परिचय :-
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इस रोग में शरीर की चमड़ी का रंग पीला पढ़ जाता है । रोगी की आँखें और नाखुन आदि सब पीले पढ़ जाते है । यह रोग यकृत की खराब होने से होता है । जिगर की नली में जब पत्थरी अटक जाती है या किसी बिमारी के कारण पित्त की नली का रास्ता छोटा हो जाता है ।तो पित्त आँतों में न पहुँचकर सीधा खून में मिलने लगता है । खून में मिलने के कारण शरीर में पीलापन आना शुरू हो जाता है ।
🌳कारण :-
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पोष्टिक भोजन की कमी ,
पाचन क्रिया की गड़बड़,
ज्यादा रज: स्राव या वीर्य को ज्यादा नष्ट करना ,
ज्यादा दिन मलेरिया रहना ,
रक्तस्राव ज्यादा होना ,
खुली हवा या सूर्य की रोशनी की कमी आदि मुख्य कारणों से होता है।
लक्षण :-
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इस रोग में रोगी की आँखें ,नाखुन ,मूत्र और शरीर पीला पढ़ जाता है । रोगी के मुँह का स्वाद कढ़वा,जीभ पर मैल जम जाना ,भूख कम लगना आदि देखे जाते है । रोगी की नाड़ी क्षीण,खुजली,आलस,अनिद्रा और कमजोरी पैदा हो जाती है । समय पर इलाज न होने पर
शोथ होकर त्वचा तथा शलैष्मिक झिल्ली से रक्त बहने लगता है ।
कामला नाशक कुछ शास्त्रीय योग :-
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चूड़ामणी रस 1 रत्ती पिप्पली या मधु से दिन में 2-3 बार ।
कामला रस ½ ग्राम तक्र से ।
योगराज रस ,चंद्रसूर्यात्मक रस 1 रत्ती त्रिफला क्वाथ से ।
स्वर्णभूपति रस 1 रत्ती पिपल्ली + मधु से दो या तीन बार ।
भस्म चिकित्सा :-
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मंडूर भस्म ,
लौह भस्म ,
ताम्र भस्म,
विमल भस्म,
स्वर्णमाक्षिक भस्म ,
कासीस भस्म ले सकते है ।
आसव अपिष्ट चिकित्सा :-
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पर्पटारिष्ट,
लोध्रासव,
लोहासव,
कुमारीआसव
रोहित्कारिष्ट 15-30ml तक बराबर जल में मिलाकर खाने बाद लें ।
सर्व विधि कामला में उपयोगी ।
घृत चिकित्सा :-
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हरिद्रादि घृत 5 ग्राम दिन में दो बार दुध से दें ।सर्व विधि कामला में उपयोगी ।
चूर्ण चिकित्सा :-
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चंदनादि चूर्ण 3 ग्राम दूध से दो- तीन बार दें । सर्व विधि कामला में उपयोगी ।
अवलेह चिकित्सा :-
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धात्रावलेह 10 ग्राम की मात्रा दूध से दो तीन बार दें । सर्व विधि कामला में उपयोगी ।
अर्क चिकित्सा :-
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रक्तमित्रार्क 25ml 50 ml जल में मिलाकर दिन में दो बार दें ।
वटी चिकित्सा :-
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अरोग्यावर्धनी वटी 2-2 गोली त्रिफला क्वाथ से दें ।
दुग्ध वटी पुनर्नवा क्वाथ से दें ।
चंद्रप्रभा वटी त्रिफला क्वाथ से दें ।
क्वाथ चिकित्सा :-
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पटोलादिगण क्वाथ ,फलत्रिकादि क्वाथ दें ।
रोगी को तिक्त रस पदार्थ ही दें । मृदु विरेचन देकर मरीज का पेट जरूर साफ रखें ।
पेटेंट चिकित्सा :-
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Liv-52 का प्रयोग करें ।
लिवोट्रीट झंडू कंपनी 2-2 गोली
लिवोट्रीट प्रवाही 1-1 चम्मच दिन में 3-4 बार जल से दें ।
विमलिव सीरप और ड्राप्स ( धूतपापेश्वर कंपनी )
सीरप 1 चम्मच और ड्राप्स 10-15 जल में मिलाकर दें ।
लौबरोल पेय वैद्यनाथ 1-1 चम्मच तीन चार बार दें ।
घरेलु चिकित्सा :-
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*केले की एक फली पर भीगा हुआ चूना लगाकर रात्री को औंस में रख दें । प्रात: काल छील कर रोगी को खिलाएं ।
*ग्वारपाठे का रस पिलाते रहने से पित्तनलिका का अवरोध दूर होकर पीलीया खत्म होता है ।
*आमला चूर्ण में लौह,मंडूर या स्वर्णमाक्षिक भस्म मिलाकर देने से लाभ होता है ।
* पके अनानास के 1 तोला रस में 2 ग्राम हल्दी मिलाकर देने से आराम होता है ।
* गन्ने के टुक्डे करके रात को छत पर खुले में रख दें । सुबह fresh होकर यह खाने से लाभ होता है ।
* बेल के पत्तो के रस में काली मिर्च मिलाकर लेने से लाभ मिलता है ।
* पतली मूली के 50 ग्राम रस में शक्कर मिलाकप लेने से लाभ होता है ।
*फिटकरी को तवे पर फुलाकर रोज ½-1 ग्राम तक की मात्रा लेकर ऊपर से दही खाने से 7 दिन में लाभ होगा । *5 ग्राम हल्दी को दिन में दो बार मट्ठे में मिलाकर दें । दही और मट्टठा का ही प्रयोग करें ।
*सफेद चंदन ,आंबा हल्दी 8-8 ग्राम का बनाया चूर्ण शहद में मिलाकर सुबह- शाम चाटें । 7 दिन में लाभ मिलेगा ।
मेरी अनुभूत चिकित्सा :-
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रेवंदचीनी 100 ग्राम,कलमी शोरा,जौ क्षार,गिलोय सत्व25-25 ग्राम,प्रवाल पिष्टी 6 ग्राम ,मोती पिष्टी 3 ग्राम ,फिटकरी भस्म 50 ग्राम ,लौह भस्म,स्वर्णमाक्षिक भस्म 10-10 ग्राम को त्रिफला गिलोय ग्वारपाठा के रस में घोटकर रख लें । दूध और पानी की लस्सी से सेवन करें । आप पढ़ रहे है डाँ०ए०एस०चीमाँ,पंजाब की पीलीया रोग की पोस्ट ।
पथ्य अपथ्य :-
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कारण की चिकित्सा करें । रोगी की कब्ज का इलाज करें । आमाशय प्रक्षालन और ( बस्ति कर्म )एनिमा दें ।
कच्चे गूलर का रसदार शाक ,गरम दूध ,साबूदाना,अनार,अरारोट,मुस्मबी,संतरा खाने को दें । छेने का जल दें । लघु और सुपाच्य भोजन दें । यदि ज्वर हो तो अरारोट ,साबूदाना दें ,ज्वर न हो तो पुराने चावल का भात दें । मछली,खटाई,मिठाई,दूध,घी,तेल,उड़द की दाल,बेसन और मैदा की वस्तुएं न दें ।
🌹 वैद आयुवेँदिक 🌹
आपका अपना
डाँ०बलभद्र महेता
मो०9427888387
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