हर्षवर्धन
कालहर्षवर्धन के साम्राज्य की राजधानी कन्नौज थी। उसने 606 ईस्वी से 647 ईस्वी तक शासन किया था। उसका साम्राज्य पंजाब से उत्तरी उड़ीसा तथा हिमालय से नर्मदा नदी के तट तक फैला हुआ था। हर्षवर्धन पुष्यभूति राजवंश से संबंध रखता था जिसकी स्थापना नरवर्धन ने 5वीं या छठी शताब्दी ईस्वी के आरम्भ में की थी। यह केवल थानेश्वर के राजा प्रभाकर वर्धन (हर्षवर्धन के पिता) के अधीन था। पुष्यभूति समृद्ध राजवंश था और इसने महाराजाधिराज का खिताब प्राप्त किया था। हर्षवर्धन 606 ईस्वी में सिंहासन का उत्तराधिकारी बना था।सातवाहन का युगसातवाहन राजवंश भारत में 230 BC के लगभग अस्तित्व में आया और आंध्रा प्रदेश में धरानिकोटा और अमरावती से महाराष्ट्र में जुन्नार और प्रतिष्ठान तक फैला | यह साम्राज्य 450 साल तक रहा जोकि लगभग 220 AD है | वास्तव में सातवाहन ने मौर्य साम्राज्य के दास के तौर पर शुरुआत की और इनके पतन के बाद दक्षिण भारत में स्वाधीन साम्राज्य के रूप में उभरे |शुंग, कनव और छेदि राजवंशशुंग राजवंश ने 185BC से 73 BC तक और कनव राजवंश ने 73 BC से 28 BC की अवधि तक शासन किया | शुंग राजवंश की राजधानी विदिषा (मध्य प्रदेश) और कनव राजवंश की राजधानी पाटलीपुत्र थी | प्राचीन भारत में एक प्रसिद्ध क्षत्रिय जाति थी जिसे छेदि के नाम से जाना जाता था | छेदि लोगों का ब्राह्मणो, बौद्धों और जैन साहित्य में विशिष्टता से उल्लेख किया गया है | छेदि राजवंश 16 महाजनपद में से एक है जिसका अस्तित्व छठी सदी BC में हुआ था |भारतीय प्रायद्वीप में गुप्त के बाद के राजवंश5वीं शताब्दी के अंत के दौरान गुप्त साम्राज्य का बिखराव शुरू हो गया था। शाहीगुप्तों के समाप्त होने के साथ-साथ मगध और इसकी राजधानी पाटलिपुत्र ने भी अपना महत्व खो दिया था। इसलिए, गुप्त काल के बाद की अवधि प्राकृतिक लिहाज से बहुत अशांत थी। गुप्तों के पतन के बाद उत्तर भारत में पांच प्रमुख शक्तियां फैल गयी थी। ये शक्तियां थी: हूण, मौखरि, मैत्रक, पुष्यभूति, गौड।पाल, प्रतिहार और राष्ट्रकूट750-1000 ईस्वी के मध्य उत्तर भारत और डेक्कन में कई शक्तिशाली साम्राज्यों का उदय हुआ था। जिनमें पाल, प्रतिहार और राष्ट्रकूट सबसे महत्वपूर्णथे। राष्ट्रकूट साम्राज्य सबसे लंबे समय तक चलने वाला साम्राज्य था जो अपने समय में सर्वाधिक शक्तिशाली भी था। पाल राजवंश की स्थापना 750 ईस्वी में गोपाल द्वारा की गयी थी जो पहले एक मुखिया था लेकिन बाद में बंगाल का राजा बन गया। वास्तव में वह बंगाल का पहला बौद्ध राजा था। गौ़ड राजवंश को उनके गढ़ कामरूप मेंशिकस्त देने के बाद उसने अपना प्रभुत्व स्थापित किया था।मौर्य साम्राज्य: इसका पतन और महत्व232 ईसा पूर्व में अशोक की मौत के बाद मौर्य साम्राज्य के पतन की शुरूआत हो गयी थी। 185 ई.पू.-183ई.पू. में अंतिम राजा बृहद्रथ की हत्या उसके सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने कर दी थी जो एक ब्राह्मण था। अशोक/अशोका की मृत्यु के बाद मौर्य वंश के पतन के में तेजी आ गयी थी। इसका एक स्पष्ट कारण कमजोर राजाओं का उत्तराधिकार था।मौर्य इतिहास के स्त्रोतमौर्य साम्राज्य की नींव ने भारत के इतिहास में एक नए युग का प्रारम्भ किया | पहली बार भारत ने राजनीतिक समानता को प्राप्त किया | इसके अलावा, इस युग से इतिहास लिखना अब और भी ज्यादा आसान हो गया क्यूंकि अब घटना क्रम व स्त्रोत बिलकुल सटीक थे | स्वदेशी और विदेशी स्त्रोतों के अलावा, इस युग का इतिहास लिखनेके लिए कई शिलालेखों के दस्तावेज़ भी उपलबद्ध हैं | समकालीन साहित्य और पुरातात्विक खोज इसकी जानकारी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं |मौर्य राजवंशचौथी सदी BC में नन्दा के राजाओं ने मगध राजवंश पर शासन किया और यह राजवंश उत्तर का सबसे ताकतवर राज्य था | एक ब्राह्मण मंत्री चाणक्य जिसे कौटिल्य / विष्णुगुप्त ने नाम से भी जाना गया ने मौर्य परिवार से चन्द्रगुप्त नामक नवयुवकको प्रशिक्षण दिया | चन्द्रगुप्त ने अपने सेना का अपने आप संगठन किया और 322BC में नन्दा का तख़्ता पलट दिया |भारत में आर्यों का भौतिक और सामाजिक जीवनयह माना गया है कि आर्य भारत के मूल निवासी नहीं थे | कुछ इतिहासविद कहते हैं किआर्यों का वास्तविक घर मध्य एशिया में था | दूसरे इतिहासविदों का मत था कि इनकावास्तविक घर दक्षिणी रूस ( कैस्पियन समुद्र के पास ) या दक्षिण-पूर्व यूरोप (ऑस्ट्रिया और हंगरी) में था | वे आर्य जो भारत में बस गए थे, इंडो-आर्यन कहलाए |महमूद गजनवी (971 से 1030 AD)महमूद गजनी जिसे गजनी के महमूद ( 2 नवम्बर 971 CE -30 अप्रैल 1030 CE ), महमूद-ए-ज़बूली के नाम से जाना गया, गजनाविद का प्रमुख शासक था जिसने 997 से 1030 में अपनी मृत्यु तक शासन किया | महमूद गजनवी, गजनी का शासक था जिसने 971 से 1030 AD तक शासन किया | वह सुबक्त्गीनका पुत्र था | भारत की धन-संपत्ति से आकर्षित होकर, गजनवी ने भारत पर कई बार आक्रमण किए | वास्तव में गजनवी ने भारत पर 17 बार आक्रमण किया | उसके आक्रमण का मुख्य मकसद भारत की संपत्ति को लूटना था |
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